गाँव में मैं सपरिवार एक कमरे में बैठा था. कुछ आहट से सुनाई दी. मैं टायलेट के बहाने पता करने गया कि आवाज़ कहाँ से आ रही है. मैंने देखा ईंटों की एक दीवार को फाँदता एक आदमी घर के अंदर आ रहा है. अचानक मैं उसे पहचान गया. यह तो वही आदमी है जिसने मुझे इस कंपनी में नौकरी दिलवाई है. तब तक मेरा बड़ा भाई भी वहाँ पहुँच गया. हम दोनों ने उस आदमी को पकड़ कर उसका मुँह बंद कर दिया और उठाकर ले गए छत पर. छत पर उससे बाद करने की कोशिश की. वह हम दोनों पर चिल्लाने लगा. गालियाँ बकने लगा. हम दोनों एक साथ गुस्से में आ गए. उसे उठाया और छत से नीचे फेंक दिया. वह खाई में बहुत देर तक गिरता रहा, और मैं देखता रहा. अचानक घनघोर अंधेरा छा गया. और मेरी नींद खुल गई.मेरे पूछने पर सज्जन ने अपना कुछ यथार्थ यूँ बताया कि
गाँव में मिट्टी का झोपड़ा है, ईंट का मकान नहीं. छत की तो वहाँ कल्पना भी नहीं की जा सकती. अलबत्ता परिवार गाँव में ही रहते हैं.
जिस व्यक्ति ने नौकरी लगवाई थी वह नेक आदमी है, वैसे उससे काफी दिनों से कोई मुलाकात नहीं हुई. बहुत पहले सज्जन ने खुद उससे बात करना बंद कर दिया था. क्यों किसलिए इसका खुलासा नहीं किया.
छत से गिरने वाला व्यक्ति अचानक खाई में इतनी देर तक क्यों गिरने लगा यह सज्जन के समझ में नहीं आया.
उसका मुँह बंद करके छत पर क्यों ले गया, ये भी उसके समझ में नहीं आया.
खैर ..
सम्भव है शायद कुछ आप समझ पायें. यदि कुछ समझ में आए तो जरूर बताइएगा.