एक साथी को अरसे बाद भी यह सपना याद रहा, जिसे उन्होंने इस तरह सुनाया :
मैं कहीं शिफ्ट कर रही हूं। मेरी एक दोस्त आयी। उसपर दो केंचुए चढ़ गए। पता नहीं केंचुए कहां से आए? उसे देखते ही उठ गई।
स्वप्नकथा तो समाप्त हो जाती है पर साथी अपने तरफ से यह जानकारी भी देती हैं कि :
मैं इन केंचुए की प्रजाति को बिल्कुल पसंद नहीं करती, बल्कि घिन्न आती है। शायद इसीलिए उसे देखते ही नींद खुल गई।
इस तरह के स्वप्न जीवन में क्यों दखलअंदाजी करते हैं? शायद आप जानते हों, या प्रयास जरूर करेंगे। इस सिलसिले में एक तथ्यात्मक जानकारी देना चाहता हूं कि साथी दिल्ली शहर में निवास करती हैं एवं महाविद्यालय की प्राध्यापिका हैं।
3 comments:
bahut khub
shkehar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
Sanjay Bhaskar
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
nice...aacha laga padd kar... :D
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