एक जंगल में पता नहीं कैसे पहुँचा. वहाँ कुछ लोग कुछ लोगों को जान से मार रहे थे. मैं पहचान नहीं पाया कि कौन किसको जान से मार रहा है. मारने के लिए तलवारों और भालों का प्रयोग किया जा रहा था. अचानक कुछ लोग मेरे पीछे दौड़े, मैं भागा. भागता गया भागता गया......
कि रेड लाइट मिली और मुझे अपनी बाइक को रोकना पड़ा. लाइट ग्रीन होते ही मैंने यू टर्न ले लिया और देखा कि घर में ढेर सारे पुलिसवाले खड़े हैं. मेरे घर में घुसते ही सबकी नज़रें मुझे देखने लगी. कि फट से मेरी नींद खुल गई.
पड़ोसी को समझ में नहीं आया कि क्यों सपनों में अचानक सबकुछ बदल जाता है. इसका कारण तो सही अर्थों में मैं भी नहीं जानता, लेकिन मेरे पूछने पर उसने यह जरूर स्वीकार किया कि इन दिनों न्यूज चैनलों में अपराध की खबरें वे ज्यादा देखते हैं.
4 comments:
भागमभाग के लिए बधाई ।
अति सुंदर. लिखते रहिये.
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उल्टा तीर
Badhiya..yun hi swapno ko shabdon ka aakaar dete rahen.
खुली आंखों से यह सपना देखना अच्छा लगा. खासकर ब्लाग का हैडर बढिया लगा.
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