स्वप्न लगभग सब देखते हैं, मैं भी और आप भी. याद रहे ना रहे. सामान्यत: स्वप्न के दो रूप होते हैं, एक जो चेतनावस्था में देखा जाता है. दूसरा जो अवचेतनास्था में देखा जाता है. चेतनावस्था में देखा गया स्वप्न कल्पना कहलाता है, उम्मीदों और ख्वाहिशों से जुड़ा हुआ. अवचेतनावस्था में देखा गया स्वप्न उम्मीदों और ख्वाहिशों से परे मनोवैज्ञानिक यथार्थ पर निर्भर करता है. यह सामान्य: निद्रावस्था में देखा गया स्वप्न होता है. कल्पनाओं को याद रखने के मुकाबले निद्रावस्था में देखे गये स्वप्न को याद रखना मुश्किल होता है. यह कल्पनाओं से भी परे, जगत के सामान्य और प्रचलित चलन से भी परे, कुछ भी हो सकता है. ऐसे में उसकी जानकारी और उसका आकलन महत्त्वपूर्ण लगा. चूँकि मनुष्य के जीवन में स्वप्न की बहुआयामी भूमिका होती है. इसी को ध्यान में रखकर मैंने ब्लॉग के माध्यम से इसे व्यक्त करने का उद्देश्य स्वीकार किया है.
मुझे अपनी निद्रावस्था में देखा गया स्वप्न याद नहीं रहता है. ऐसे में लोगों से पूछकर, सुनकर ब्यौरों के साथ जो कथा मिलती है उसी को इस ब्लॉग में प्रस्तुत किया करूँगा. आप सभी के स्वप्न टिप्पणियों व सुझावों के साथ आमंत्रित है. आइये मिलकर स्वप्न जगत का रहस्य खोलें. आरंभ करता हूँ इस स्वप्न कथा से….

Wednesday, July 9, 2008

भागमभाग

आज एक पड़ोसी से बात हुई. उसने अपना स्वप्न कुछ विस्तार से सुनाया जो कल रात उसने सोते हुए देखा था. मैं उसका संक्षिप्त रूप प्रस्तुत कर रहा हूँ :-
एक जंगल में पता नहीं कैसे पहुँचा. वहाँ कुछ लोग कुछ लोगों को जान से मार रहे थे. मैं पहचान नहीं पाया कि कौन किसको जान से मार रहा है. मारने के लिए तलवारों और भालों का प्रयोग किया जा रहा था. अचानक कुछ लोग मेरे पीछे दौड़े, मैं भागा. भागता गया भागता गया......
कि रेड लाइट मिली और मुझे अपनी बाइक को रोकना पड़ा. लाइट ग्रीन होते ही मैंने यू टर्न ले लिया और देखा कि घर में ढेर सारे पुलिसवाले खड़े हैं. मेरे घर में घुसते ही सबकी नज़रें मुझे देखने लगी. कि फट से मेरी नींद खुल गई.

पड़ोसी को समझ में नहीं आया कि क्यों सपनों में अचानक सबकुछ बदल जाता है. इसका कारण तो सही अर्थों में मैं भी नहीं जानता, लेकिन मेरे पूछने पर उसने यह जरूर स्वीकार किया कि इन दिनों न्यूज चैनलों में अपराध की खबरें वे ज्यादा देखते हैं.

4 comments:

36solutions said...

भागमभाग के लिए बधाई ।

Amit K Sagar said...

अति सुंदर. लिखते रहिये.
---
उल्टा तीर

विजेंद्र एस विज said...

Badhiya..yun hi swapno ko shabdon ka aakaar dete rahen.

राजेश अग्रवाल said...

खुली आंखों से यह सपना देखना अच्छा लगा. खासकर ब्लाग का हैडर बढिया लगा.