स्वप्न लगभग सब देखते हैं, मैं भी और आप भी. याद रहे ना रहे. सामान्यत: स्वप्न के दो रूप होते हैं, एक जो चेतनावस्था में देखा जाता है. दूसरा जो अवचेतनास्था में देखा जाता है. चेतनावस्था में देखा गया स्वप्न कल्पना कहलाता है, उम्मीदों और ख्वाहिशों से जुड़ा हुआ. अवचेतनावस्था में देखा गया स्वप्न उम्मीदों और ख्वाहिशों से परे मनोवैज्ञानिक यथार्थ पर निर्भर करता है. यह सामान्य: निद्रावस्था में देखा गया स्वप्न होता है. कल्पनाओं को याद रखने के मुकाबले निद्रावस्था में देखे गये स्वप्न को याद रखना मुश्किल होता है. यह कल्पनाओं से भी परे, जगत के सामान्य और प्रचलित चलन से भी परे, कुछ भी हो सकता है. ऐसे में उसकी जानकारी और उसका आकलन महत्त्वपूर्ण लगा. चूँकि मनुष्य के जीवन में स्वप्न की बहुआयामी भूमिका होती है. इसी को ध्यान में रखकर मैंने ब्लॉग के माध्यम से इसे व्यक्त करने का उद्देश्य स्वीकार किया है.
मुझे अपनी निद्रावस्था में देखा गया स्वप्न याद नहीं रहता है. ऐसे में लोगों से पूछकर, सुनकर ब्यौरों के साथ जो कथा मिलती है उसी को इस ब्लॉग में प्रस्तुत किया करूँगा. आप सभी के स्वप्न टिप्पणियों व सुझावों के साथ आमंत्रित है. आइये मिलकर स्वप्न जगत का रहस्य खोलें. आरंभ करता हूँ इस स्वप्न कथा से….

Thursday, July 17, 2008

डरावनी लिफ्ट

एक मित्र जो दिल्ली का निवासी है, उसने अपना स्वप्न कुछ इस तरह बताया....
किसी बहुमंजिला अपार्टमेंट में नीचे के पार्क में पार्टी हो रही थी. अचानक बहुत तेज लेट्रिन आ गई. किसी परिचित का मकान टाप फ्लोर पर था. मैं वहाँ जाने के लिए लिफ्ट की तरफ भागा. देखा लिफ्ट एकदम दुबला-पतला और छोटा. मैं उसमें समा सकता था लेकिन ठूसठास कर किसी भी तरह, देखकर ऐसा ही लगा.
लिफ्ट ऐसा था जैसे टूटे-फूटे लकड़ियों को जोड़कर बनाया गया है. उसमें लाइट भी नहीं थी. भयानक अंधेरा दिख रहा था. लेट्रिन का दबाव होते हुए भी ऐसा लगा कि यदि उसमें गया तो दम घुट जाएगा. दूसरे लिफ्ट की तरफ भागा. आसपास बहुत सारे लिफ्ट नज़र आने लगे. लेकिन सब वैसे ही थे जैसा पहले देखा था. चढने की हिम्मत नहीं हुई. मजबूरन मैं बालकनी को पकड़कर उसी तरह चढने का प्रयत्न करने लगा जैसा कोई शातीर चोर उपर की तरफ चढने के लिए करता है. अचानक हाथ छूटा और मैं नीचे की तरफ गिरा. इससे पहले की ज़मीन पर गिरूँ आँखें खुल गई और मैं नींद से बाहर आ गया. पेट में दर्द हो रहा था, वाकई लेट्रिन लगा था.
मित्र की तरह मेरे समझ में भी नहीं आया कि सपने में इस तरह का लिफ्ट क्यो दिखा.

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

aisaa ho sakataa hai.bahut pahale maineM is par ek lekh likhaa thaaa usew padhe."स्वप्न-विचारः सपने क्यूँ आते हैं?"

परमजीत सिहँ बाली said...

दिशाएं स्वप्न-विचारः सपने क्यूँ आते हैं yeh web Search par dhaale.